ऊर्जा के क्षेत्र में वित्तीय संस्थाओं की भूमिका

c5d868cd-f805-413c-a824-db9e00dc1fd0

आमंत्रण
एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (AIIB) की भोपाल में आयोजित बैठक के संदर्भ में “ऊर्जा के क्षेत्र में वित्तीय संस्थाओं की भूमिका” विषय पर विमर्श

वक़्ता:
श्री सौम्या दत्ता, पर्यावरणविद एवं ऊर्जा विशेषज्ञ
श्री राजेंद्र कोठरी, लघु एवं माध्यम उद्योग संगठन
श्री राजकुमार सिन्हा, बर्गी बाँध विस्थापित एवं प्रभावित संघ
श्रीमती चित्तरूपा पालित, नर्मदा बचाई आंदोलन

26 मई 2018, वीरेंद्र तिवारी कक्ष,हिन्दी भवन, भोपाल

साथियों,

आगामी 21-22 मई को एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (AIIB) अपनी ऊर्जा संबंधी निवेश नीतियों के संदर्भ एक बैठक भोपाल में आयोजित कर रहा है। एआईआईबी दो वर्ष पुराना एक बहुपक्षीय बैंक है जिसका ना तो मजबूत ‘पर्यावरणीय-सामाजिक उत्तरदायित्व’नीति है, ना ही किसी प्रकार का शिकायत तंत्र है जिसके चलते इसे जबाबदेह ठहराया जा सके। हाल ही बना यह बैंक, भारत के विभिन्न राज्यों में आधारभूत संरचनात्मक विकास की कई परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है जिसमें ऊर्जा प्रमुख रूप से है। भोपाल में आयोजित बैठक का उद्देश्य प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना ही है। बैंक की कार्यप्रणाली और निवेश नीति पर कई लोग गंभीर सवाल उठा रहे है इसलिए हमें लगता है कि ऊर्जा जिसे हम बिजली के रूप में समझते है,और वित्तीय संस्थानों कि भूमिका के बारे में व्यापक और बहुपक्षीय चर्चा करने की आवश्यकता है।

हमारे प्रदेश में उपभोक्ताओं को देश में सबसे अधिक बिजली बिल का भुगतान करना पड़ता है जो दिल्ली की तुलना मे तीन गुना अधिक है । जबकि हम अन्य राज्यों को सस्ती दरों में बिजली बेचते है। प्रदेश में बिजली उत्पादन करने की क्षमता 20028 मेगावाट है जिसमें 9390 मेगावाट निजी क्षेत्र से आता है। लगभग 10638 मेगावाट का उत्पादन क्षमता रखने वाली प्रदेश कई सार्वजनिक इकाइयां कोयला इत्यादि के अभाव में बंद पड़ी हैं या अपनी क्षमता से कम उत्पादन कर रही है। निजी पॉवर हाउस कंपनियों से हुए करार के चलते राज्य सरकार निजी कंपनियों द्वारा उत्पादित बिजली खरीदने के लिए बाध्य है। ना खरीदने पर कंपनियों को बेवजह मोटी रकम का भुगतान करना पड़ रहा है। पीक आवर यानि जब प्रदेश को सबसे अधिक मात्र में बिजली की आवश्यकता होती है, के समय में हमारी जरूरत 11500 मेगावाट की है जो उत्पादन क्षमता का लगभग आधा है। प्रदेश में जरूरत से अधिक बिजली (सरप्लस) होने बाबजूद एक तिहाई गरीबों को बिजली नहीं मिल पा रही है। इसके बाबजूद बिज़ली उत्पादन के क्षेत्र में लगातार निवेश को प्रोत्साहित किया जाना कहाँ तक उचित है?

प्रदेश की मौजूदा परिस्थिति ऊर्जा क्षेत्र की जटिलताओं पर व्यापक बहस चलाने व अपनी समझदारी को अधिक साफ़ करने की मांग करती है इसलिए इसी क्रम में “ हम सब” जो की एक अनौपचारिक समूह है, द्वारा 26 मई2018 को वीरेंद्र तिवारी कक्ष, हिन्दी भवन,भोपाल में शाम 6 बजे से “ऊर्जा के क्षेत्र में वित्तीय संस्थाओं की भूमिका” विषय पर विमर्श का आयोजन किया जा रहा है । विमर्श को प्रसिद्ध पर्यावरणविद और ऊर्जा विशेषज्ञ सौम्या दत्ता, राजेंद्र कोठारी, राजकुमार सिन्हा,और नर्मदा बचाओ आंदोलन से चित्तरूपा पालित मुख्यरूप से संबोधित करेंगे ।

आप से आग्रह है इस महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित विमर्श में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें ।

निवेदक

रघुराज सिंह (मो. 09425300846) , राजेंद्र कोठारी (मो.09893016682), गौरव (मो. 09425089369)

Leave a comment